पेशेंट को डेंटिस्ट द्वारा बताई गई निकलने और लगाने की तकनीक का पालन करना चाहिए।
शुरू में, डेन्चर पहनने से अजीब महसूस हो सकता है। गाल और होंठ भरे हुए महसूस करना या डेन्चर को भारी महसूस करना सामान्य और अस्थायी है और इसकी आदत पड़ने में कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक का समय लगेगा।
शुरू में बोलने और खाने में कठिनाई हो सकती है और केवल अस्थायी है जब तक आप इसके आदी नहीं हो जाते।
प्राकृतिक दांतों की तुलना में डेन्चर में अधिक खाद्य मलबा जमा होता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि उन्हें हर भोजन के बाद और रात में सोने से पहले साफ करें। यह सलाह दी जाती है कि पेशेंट के पास दो ब्रश हो, डेन्चर की सफाई के लिए एक डेन्चर ब्रश और सहायक सॉफ्ट टिश्यू को साफ करने के लिए एक नरम टूथ ब्रश। टूथ पेस्ट का उपयोग डेनटुरे साफ़ करने के लिए न करे। कमर्शियल उपलब्ध डेन्चर क्लीनिंग सलूशन और टैबलेट का उपयोग किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक क्लीनर का भी उपयोग किया जा सकता है।
पेशेंट को सलाह दी जाती है कि वह डेन्चर को पानी या एक मेडिसिनल सलूशन में एयर-टाइट कंटेनर में रखे (पानी को कमरे के तापमान पर होना चाहिए, गर्म पानी के उपयोग से बचना चाहिए। पानी को नियमित रूप से बदलना चाहिए।)
आदर्श रूप से डेंचर को मुंह से 8 घंटे बाहर रखा जाना चाहिए, ताकि सहायक सॉफ्ट टिश्यू को आराम मिल सके और रिसॉर्प्शन की दर कम हो सके। रात में डेंचर नहीं पहनने की सलाह दी जाती है।
आपको छाला हो सकता है और पेशेंट को सलाह दी जाती है कि वह डेंटिस्ट के पास आये। ज़्यादा गंभीर मामलों में, डेन्चर का उपयोग बंद करने और डेंटिस्ट से तत्काल अपॉइंटमेंट लेने की सलाह दी जाती है। पेशेंट को यह सलाह दी जाती है कि वह डेन्चर को टूटने पर खुद जोड़ने की कोशिश न करें।
कठोर या चिपचिपा भोजन करने से बचें। प्रोस्टेसिस के साथ अखरोट या इसी तरह की तरह के खाने को तोड़ने या चबाने से बचें, क्योंकि इससे डेन्चर को नुकसान हो सकता है और साथ ही दर्द भी हो सकती है।
एक २४ घंटे बाद के रिकॉल की सलाह इंसर्शन अपॉइंटमेंट के बाद दी जाती ताकि दाँतों के मेल और इम्मीडिएट टिश्यू रिएक्शन को देखा जा सके । अगला अपॉइंटमेंट एक सप्ताह बाद रखे का अनुरोध किया जाता है ताकि टिश्यू रिएक्शन को देखा जा सके। पेशेंट के अनुभव और आराम की पूछताछ की जाती है और समस्याओं को ठीक किया जाता है। टिश्यू रिएक्शन और रिज रिसॉर्प्शन की मात्रा निर्धारित करने के लिए प्रत्येक 3-6 महीनों में एक रिकॉल की सिफारिश की जाती है। वार्षिक रूप से रिकॉल दिया जाता है ताकि रेलीनिंग और रेबासिंग की आवश्यकता को देखा जा सके।